Monday, January 1, 2024

महताब

महताब तेरी उल्फत में,

हाल कुछ यूं है,

जिस्म में दिल है,

दिल में तू है,

कैसे तय हो ये फासला,

कैसे बात हो तुझे,

मैं ज़मीन पर क्यूं हूं,

तू आसमान में क्यों है,

तुझे पाने का फरेब नही,

तुझे देखना भी सुकूं है,

तू क्यों पलट के बात करे,

मैं मैं हूंतू तू है,

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