एक चिड़ियां को एक पेड़ पर, चार कौओं ने घेर लिया
दो कबूतर थे, एक बगुला था, पर सबने मुंह फेर लिया,
चिड़ियां जानती थी कुछ गलत होगा, चिड़िया बेहद दर गई,
उसने आखिरी सांस तक कोशिश की,आखिरी सांस लेकर मर गई,
चिड़ियां के मरने के बाद कबूतर, बगुला, सब उसकी आवाज बन गए,
पहले उल्लू बन बैठे थे,अब बाज बन गए,
फिर इंसाफ के पेड़ पर बुलाया गया, सब परिंदो को,
सोचने लगे क्या सजा दे, इन दरिंदो को,
कई साल लगाकर, चिड़िया का इंसाफ किया गया,
कुछ साल की सजा, फिर कौओं को माफ किया गया,
नजाने ऐसी कितनी चिड़िया हैं, जहान में,
फिर भी खुले घूमते हैं कौए, आसमान में,
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