जिंदगी के मसले हैं,
वादे और कसमें हैं,
आंख में छिपे अश्क,
गाल पे आ फिसले हैं,
आह! होठों की जद में है,
होठ अपनी ज़िद में हैं,
अश्क लबों से जो आ मिले,
कैदी कैद से निकले हैं,
दिल मासूम मुफलिस है,
ये मसले सारे दिल के हैं,
इस बार तो सवरना था,
अब किस दर पे आके बिखरे हैं
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