Sunday, December 31, 2023

पंछी- पिंजरा

एक रोज़ घर आते आते,

एक पंछी रास्ते पे पड़ा मिला,

उस पंछी को उंगलियों से टिटोला तो,

एक ज़ख़्म बदन पे बड़ा मिला,

उस पंछी को मेने ठीक किया,

फिर एक पिंजरे में रोक दिया,

उस पंछी को उड़ने से खतरा था,

वो पंछी उड़ने से मरता था,

फिर एक शाम जब मैं लोटा घर,

वो पिंजरा वही पे धरा मिला,

जिस पंछी को उड़ने से रोक लिया,

वो पंछी पिंजरे में मरा मिला,

उसमे जो बुरा है

 उसमे जो बुरा है, मुझे बुरा नही लगता, उन हाथों से हुआ गलत, गलत हुआ नही लगता, एक सजा है ज़ालिम से दिल लगाना, जिस सजा में जफा का पता नही लगता,...